मुझे मतलब नहीं हिन्दू या मुसलमानों से
मुझे तकलीफ़ है बस दोगले इंसानों से
यहां बसते हैं इसके राम उसके अल्लाह भी
मेरा भारत है बहुत खूब सब जहानों से।
यहां कहते हैं राम राम तो सलाम भी हैं
यहां ऊंचाई में कोविंद तो कलाम भी हैं
यहां सुरों में भीम सेेन बड़े गुलाम भी हैं
यहां धुनों में हैं रोशन संग खय्याम भी हैं
यहां गीतों में हैं किशोर तो रफ़ी भी हैं
यहां छाई हैं जो नरगिस तो वैजयंती भी हैं
यहां संगीत में नय्यर हैं तो नौशाद भी हैं
यहां गूंजी है लता साथ में शमशाद भी हैं
यहां चमकी हैं साइना तो सानिया भी हैं
यहां सचिन कि अजहर की कहानियां भी हैं
यहां आज़ाद की अब्दुल की कुर्बानियां भी हैं
यहां फयाज विक्रम की मिटी जवानियां भी हैं
जिन्हें गुरेज वन्दे मातरम् भी गाने से
जिन्हें हया है राष्ट्र गान में उठ जाने से
जिन्हें है शर्म जय मां भारती बुलाने से
जिन्हें परहेज है कानून को अपनाने से।
वतन को बांटने की चल रही दुकानों से
मुझे तकलीफ़ है नफरत भरी जुबानों से
मुझे मतलब नहीं हिन्दू या मुसलमानों से
मुझे तकलीफ़ है बस दोगले इंसानों से।
।वेद खन्ना।